मेरे मुक्तक, अटल के नाम
आज तुम सा नहीं इस धरा पर अटल
बन गये तुम दिलों में समाकर अटल
रो पड़ा आज संसार में हर कोई
जब जुदा हो चला आज हमसे अटल
देकर दुनिया को एक रोशनी सी तुम
सो गए क्यों अटल ऐसी नींदों में तुम
हर निराशा में थे दीपकों की तरह
हो गये आसमां के सितारों से तुम
है अटल विश्वास हमको तुम जहां भी जाओगे
बन के मांझी हर किसी का तुम किनारे लाओगे
रह न पाया था अछूता कोई भी तुमसे यहां
तुम वहां भी एकता का राग गाते जाओगे
कौन भूलेगा अटल वो कारगिल के क्षण कभी
प्रेम के विश्वास के खण्डित हुए धागे सभी
हम न भूलेंगे तुम्हारे साहसी अवतार को
शौर्य सेना का हमेशा याद रखेंगे सभी
हम सदा ही ऋणी हैं तुम्हारे अटल
खोल डाले तुम्हीं ने हृदय के पटल
तुमने जीवन बिताया सरल ही बहुत
थे इरादे तुम्हारे बड़े ही अटल