**** मेरे मुकद्दर में ***
मेरे मुकद्दर में शायद इक बात लिखी है
तेरे हुस्न-ओ-आलम में इक रात लिखी है ।।
?मधुप बैरागी
मेरी आदत नहीं कि
इश्क को मैं दोहराऊँ
पर क्या करूँ हुस्न वाले हैं
जरा भी ध्यान नहीं देते ।।
?मधुप बैरागी