#मेरे पिताजी
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🚩 #मेरे पिताजी
पिताजी रोज़ रात को आते हैं
कहते हैं
सयाने हो गए हैं बच्चे
अब इन्हें अपने परों से उड़ने दे
आशा-निराशा
मान-प्रतिष्ठा
और निष्ठा
जहाँ धरते हैं धरने दे
सयाने हो गए हैं बच्चे
अब इन्हें अपने मन की करने दे
अब छोड़ सब
तू आ जा . . . ।
आप वहाँ भी मेरी चिंता करते हैं ?
इतना ही कह पाता हूँ
पिताजी खिलखिलाकर हँसते हैं
और मैं जाग जाता हूँ
पिताजी के बिना अपने को अकेला पाता हूँ
अपने को बहुत अकेला पाता हूँ मैं . . . !
#वेदप्रकाश लाम्बा
यमुनानगर (हरियाणा)
९४६६०-१७३१२