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10 May 2023 · 1 min read

मेरे पापा

पिता का साथ तो हर काम में निहित है,
आशीष से जिनके ना होता कभी अहित है।

अरमानों को रख परे निभाते है हर रीत है,
जिनकी दुआओं से होती मुकम्मल हर जीत है।

परिश्रम के बाद भी जो ना होते शिथिल है,
अपनों के लिए जो हमेशा बने रहते नीर है।

संस्कारों और अनुशासन का जो रोपते ऐसा बीज है,
अपनों की खुशी के लिए रहते वो तत्पर नित है।

उनकी सेवा ही कर्म और आशीष ही ताबीर है,
जीवन पथ पर चलने का सिखाते जो सलीका,
उनसे ही तो अविरल चलते रहना सीखा।
Pyare papa

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