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29 Apr 2018 · 2 min read

मेरे पापा

आज मुनिया की आंखों से आँसू थमने का नाम नही ले रहे थे । वह ज्यादा समझदार तो नही थी, किंतु कक्षा 6 के स्तर से कही अधिक उसकी समझ थी । आज उसे पहली बार अहसास हुआ कि उसकी हर खुशी के पीछे, उसके पापा की कड़ी मेहनत थी । आज उसका हर एक आँसू, पापा के पसीने की बूंद के समान निकल रहा था, कितना ही अपने मन को कड़ा कर रही थी कि आंसू न आये किंतु रुकने का नाम ही नही ले रहे थे । ऐसा आज क्या हो गया था कि हमेशा हंसमुख मुनिया आज उदास हो रही थी, अपने पापा के प्रति स्नेह का समुद्र उमड़ रहा था । हुआ यह था कि आज ट्रैफिक सिग्नल पर जब उसका ऑटो रुका तो उसने बाजू से अपने पापा को देखा, जो सायकिल से डाक का बोरा लादे पसीने से तर बतर होकर ट्रैफिक शुरू होने का इंतज़ार कर रहे थे । यह अप्रैल का माह था गर्मी ने अपना तांडव रूप दिखाना शुरू कर दिया था । मुनिया को आज जब उसने अपने पापा को इस हालत में देखा, तो उसे पुरानी एक एक बात उसके मन मे घूमने लगी कि कैसे वह पापा से जिद कर नए नए खिलोने, कपड़े, बाहर होटल के खाने की जिद करती थी, उसे पापा ने कभी भी मना नही किया था, हर इच्छा पूरी की थी, बिना कुछ पूछे । कही बार तो मुनिया ने अपने स्कूल बैग बिना फटे ही नया मंगा लेती थी । आज भी पापा के तन पर वही 3 साल पुरानी शर्ट देखी । जब पापा घर आते थे तो मम्मी उनकी थकावट के बारे में कुछ नही पूछती थी, बल्कि अपने लिए कोई न कोई काम बता देती थी फिर पापा अपनी थकान भूलकर तुरंत काम मे लग जाते थे । मुनिया अपने सपनो में इस तरह खोई की पता ही नही चला कि कब ट्रैफिक खुला और स्कूल आ गया । उसके पापा भी उस दौड़ धूप में ओझल हो गए । शाम को जब पापा घर आये तो तुरंत मुनिया दौड़ाकर उनके लिए पानी लायी, और उनके गले लिपट गयी । उसकी आँखों से आँसू बहने लगे ।
।।।।जेपीएल।।।।

Language: Hindi
1 Like · 269 Views
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