मेरे पापा जैसे कोई नहीं………. है न खुदा
जिनके थाम के सदा, मैं उंगली हूं चला
जिनके कांधे पे चढ़कर, ये ज़हां हैं घुमा
उनके जैसा कोई नहीं है, हां कोई नहीं हैं,हैं न ख़ुदा-२
मानतें हैं लोग सभी,तू भी रहता है यहीं-कहीं
मगर तू आता नहीं है सामने मेरे क्यों कभी
मैंने पापा को ही पाया है अपने पास हर घड़ी
उनके जैसा कोई नहीं है , हां कोई नहीं है,हैं न ख़ुदा-२
ऐ खुदा क्या तू मेरे लिए झुक सकता है किसी के,सामने
क्या तू मेरे खातिर दौड़ सकता है नंगे पैरों इन/उन कंक्रीले रास्ते
मगर एक पिता से पूछकर देख लेना कभी
उनके बच्चे उनके तन के हिस्से होते हैं सभी
उनके जैसा कोई नहीं है, हां कोई नहीं है,हैं न ख़ुदा-२
मेरे पापा जैसे कोई नहीं है , हां कोई नहीं है,है न,ख़ुदा
हर धर्म यहीं कहता हैं तू हर इंसानों में होता हैं
ये बात तुम भी मानते हों, पिता भी भगवान होता है
जिनको मिलता हैं पिता की छाया,ओ बच्चा बड़ी भाग्यवान होता हैं
निर्धन होकर भी ओ धनवान होता हैं
उनके जैसा कोई नहीं हैं, हां कोई न हैं,हैं न खुदा-२
नीतू साह
हुसेना बंगरा, सीवान-बिहार