*** मेरे पसंदीदा शेर ***
मैं मशगूल था अपने ही ख्यालों में
कब मशहूर हो गया क्या पता ।।
?मधुप बैरागी
जख़्म भरे जाते नहीं ज़ाम-ए-शराब से
नासूर बन जाते हैं ये तल्ख़-ए-जिंदगी ।।
?मधुप बैरागी
क्यों दीवारे तन्हाई खड़ी है हम दोनों के बीच
हम तो नहीं हुए थे तुमसे ख़फा कभी ।।
?मधुप बैरागी
मिल के अश्कों को यूं बहालें हम
तन्हाई में फिर रोना ना पड़े हमको ।।
?मधुप बैरागी
आज कह दो गिले-शिकवे सब हमसे
वरना शिकायते मुहब्बत ना करना कभी ।।
?मधुप बैरागी
जितना जी चाहे प्यार कर लो मुझसे
फिर तन्हाई में याद रह जायेगी मेरी ।।
?मधुप बैरागी
कलम चलती रहे मेरी रुक ना जाये कहीँ
जिंदगी यूं ही चलती रहे चूक ना हो जाये कहीँ ।।
?मधुप बैरागी
जीना चाहा था मगर जिंदगी ना मिली
मौत भी अब हमसे अपना दामन छुड़ा के चली ।।
?मधुप बैरागी