Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Aug 2024 · 1 min read

मेरे दुःख –

मेरे दुःख –
मैं मानता हूं हर इंसान के जीवन में दुःखों की अपनी एक अलग वज़ह होती हैं और उनसे लड़ने का भी अपना अलग-अलग तरीक़ा होता है
मेरे जीवन में भी दुखों ने जब दस्तक दी, शायद मुझे उस वक्त ऐसा लगता था कि मैं उन दुखों के लिए तैयार नहीं हूं, लेकिन जैसे-जैसे जिंदगी बीतती गई, मुझे समझ में आने लग गया की दुख आपकी उम्र, हैसियत, कद काठी, अमीर-गरीब नहीं देखता और मैं कोई पहली इंसान नहीं हूं जिसके जीवन में दुख है, सभी है जिनके जीवन में कुछ ना कुछ दुःख हैं
हां यह अलग बात है कि अपना दुख हर किसी को हमेशा ज्यादा ही लगता है और मुझे भी लगता था लेकिन जैसे-जैसे समय बिताता गया, मुझे मेरा दुख कम लगने लगा और लोगों का ज्यादा फिर मैंने सोचा अगर लोग इतने दुख में खुश रह सकते हैं तो मैं क्यों नहीं, अब मुझे मेरे दुखों से, मेरे हालातो से कोई शिकायत नहीं है l 💔🩶

39 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
ऑफ्टर रिटायरमेंट
ऑफ्टर रिटायरमेंट
पाण्डेय चिदानन्द "चिद्रूप"
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
मुझे गर्व है अलीगढ़ पर #रमेशराज
कवि रमेशराज
"यादों की बारात"
Dr. Kishan tandon kranti
तुम्हारी कहानी
तुम्हारी कहानी
PRATIK JANGID
--बेजुबान का दर्द --
--बेजुबान का दर्द --
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
चाहे मेरे भविष्य मे वह मेरा हमसफ़र न हो
चाहे मेरे भविष्य मे वह मेरा हमसफ़र न हो
शेखर सिंह
कौन किसी को बेवजह ,
कौन किसी को बेवजह ,
sushil sarna
Just be like a moon.
Just be like a moon.
Satees Gond
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
तानाशाह के मन में कोई बड़ा झाँसा पनप रहा है इन दिनों। देशप्र
ब्रजनंदन कुमार 'विमल'
*बस एक बार*
*बस एक बार*
Shashi kala vyas
जीवन की विफलता
जीवन की विफलता
Dr fauzia Naseem shad
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
अपनी इच्छाओं में उलझा हुआ मनुष्य ही गरीब होता है, गरीब धोखा
Sanjay ' शून्य'
सत्य की खोज
सत्य की खोज
Mukesh Kumar Sonkar
*जिस बर्तन में मांस पक गया, दूषित वह अब कहलाता है (राधेश्याम
*जिस बर्तन में मांस पक गया, दूषित वह अब कहलाता है (राधेश्याम
Ravi Prakash
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
प्यार खुद से कभी, तुम करो तो सही।
प्यार खुद से कभी, तुम करो तो सही।
Mamta Gupta
शीर्षक:गुरु मेरा अभिमान
शीर्षक:गुरु मेरा अभिमान
Harminder Kaur
मुक्तक
मुक्तक
डॉक्टर रागिनी
दायित्व
दायित्व
TAMANNA BILASPURI
मनुख
मनुख
श्रीहर्ष आचार्य
मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
मेरा दिल अंदर तक सहम गया..!!
Ravi Betulwala
4649.*पूर्णिका*
4649.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सब से गंदे चुस्त चालाक साइबर चोर हैँ
सब से गंदे चुस्त चालाक साइबर चोर हैँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गुरु महाराज के श्री चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है
गुरु महाराज के श्री चरणों में, कोटि कोटि प्रणाम है
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
बहुत कुछ सीखना ,
बहुत कुछ सीखना ,
पं अंजू पांडेय अश्रु
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
हसरतों की भी एक उम्र होनी चाहिए।
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
रातों में यूं सुनसान राहें बुला रही थी,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
* सिला प्यार का *
* सिला प्यार का *
surenderpal vaidya
✍🏻 ■ रसमय दोहे...
✍🏻 ■ रसमय दोहे...
*प्रणय*
Loading...