मेरे दिल के खूं से, तुमने मांग सजाई है
मेरे दिल के खूं से मांग, तुमने सजाई है।
मेरे दिल के खूं से मेहंदी, तुमने रचाई है।।
किया है खून तुमने, मेरे सच्चे प्यार का।
मेरे दिल के खूं से खुशी, तुमने पाई है।।
मेरे दिल के खूं से ———————।।
बेरहम दिल है तेरा, आँसू नहीं आये तुमको।
खुश है मेरे खून से तू , शर्म कैसे आये तुमको।।
मेरे खून से लिखा है तुमने, यह अपना नसीब।
मेरे दिल के खूं से दुनिया, तुमने बसाई है।।
मेरे दिल के खूं से ———————।।
जलाने को दिल मेरा, तुम गैर से लिपटी हो।
लेकर अपनी बाँहों में, प्यार उसको करती हो।।
किया है मेरे खून से, आबाद तुमने दामन तेरा।
मेरे दिल के खूं से महफ़िल, तुमने जमाई है।।
मेरे दिल के खूं से ———————।।
आबाद जो चमन था मेरा, खाक तुमने कर दिया।
चिराग जो रोशन था मेरा, तुमने वह बुझा दिया।।
तुमने जो इज्जत पाई है, वह मेरे दिल का खून है।
मेरे दिल के खूं से किस्मत, तुमने बनाई है।।
मेरे दिल के खूं से ———————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)