मेरे तेरे प्रणय की ,
बारिश की मस्त बूँदो जैसे , तीव्र पवन झकझोरते वेगों से
अहसास मेरे जो बनते बिगड़ते , दे कर स्वीकृति जगा दो प्रिये
मेरे तेरे प्रणय की , अनूठी औ अनश्वर कृति रचा दो प्रिये
हर ऊँचाई से ऊँचा हो , हर गहराई से गहरा हो
न कोई इसमें हो लुका छुपी , न कोई हो आना कानी
मेरे तेरे प्रणय की , अनुपम औ अमर आकृति बना दो प्रिये
मेरे तेरे प्रणय की , अनूठी औ अनश्वर कृति रचा दो प्रिये
तन के सीमित बंधन से निकल विश्वव्यापी हो प्रेम अपना
जिसमें दिखता हो सर पल , आत्मसमर्पण से भरा सपना
मेरे तेरे प्रणय की , अलौकिक औ अजर सृष्टि सजा दो प्रिये
मेरे तेरे प्रणय की , अनूठी औ अनश्वर कृति रचा दो प्रिये