मेरे तुम
काँच की बोतल में खेलती
रोशनी की किरण
जैसे ढूँढ रही हो खुद को
एक नए आयाम में
ठीक उसी तरह
खेलती और खोजती तुम्हें मैं
कल्पनाओं के अनंत
आकाश से परे
जहाँ हो तुम, केवल मेरे
केवल मेरे
बंधनमुक्त, निस्पृह और निर्गुण
काँच की बोतल में खेलती
रोशनी की किरण
जैसे ढूँढ रही हो खुद को
एक नए आयाम में
ठीक उसी तरह
खेलती और खोजती तुम्हें मैं
कल्पनाओं के अनंत
आकाश से परे
जहाँ हो तुम, केवल मेरे
केवल मेरे
बंधनमुक्त, निस्पृह और निर्गुण