Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jun 2020 · 2 min read

मेरे ठाकुर जी

सरला आंटी माँ से मिलने आईं थी दोनों एक दूसरे का सुख – दुख कह – सुन रहीं थीं मैं नाश्ता टेबल पर रख उन दोनों लोगों को बुलाने गई… ” आंटी आइए आपकी पसंद की गरम गरम कचौरियाँ बनाई हैं ” दोनो लोग उठ कर डाइनिंग में आ गई माँ का अपना नियम – कानून हमेशा से वही तीन वक्त के अलावा मुँह जूठा करने में उनका विश्वास कभी नही रहा और रही चाय तो वो बेचारी माँ के ओठों से लगने को हमेशा से तरसती रही और माँ ने उसको कभी मौका दिया ही नही ।
कुर्सी पर बैठते ही आंटी चहक पड़ी अरे बेटा तुमने तो सोंठ , हरी चटनी और दही पकौड़ी भी बना डाली…रसोई के अंदर से मैं बोली ” आंटी बिना इन सबके कचौरियों का मजा नही है आनंद ले कर खाईये ” मैं चाय लेकर बाहर आई तो देखा आंटी त्रिप्त हो कर खा रहीं थी और माँ खुश होकर उनको देख रहीं थी…मुझे देखते ही बोलीं ” बेटा तुमने तो जी खुश अर दिया तेरे हाथों का स्वाद ऐसे ही बना रहे , अच्छा एक बात बता कुछ पूजा – पाठ भी करती है या अपनी माँ की तरह कर्म को ही सब मानती है मेरी मान ठाकुर जी की सेवा – पूजा करनी शुरू कर दे बड़ी शान्ति मिलेगी ।
” आंटी आप जो भी कह रहीं हैं वो सब सच है लेकिन मेरे ठाकुर जी तो मेरे मिट्टी के काम में ही बसते हैं एक छोटे बच्चे की तरह मैं इनकी देख – भाल करती हूँ बिना पंखा चलाए ईनको बनाती हूँ थोड़ी – थोड़ी देर में आ कर देखती हूँ की कहीं से क्रैक तो नही हो रहा , ढ़क कर रखती हूँ सह समय पर पंखा चलाती हूँ धूप दिखाती हूँ कभी – कभी तो रात में उठ कर देखती हूँ कहीं भी क्रैक दिखता है तो उसी वक्त उसको ठीक करती हूँ और बड़े धैर्य के साथ इनको सूखते देखती हूँ , ये भी तो सेवा – पूजा है ना आंटी… क्यों क्या मैं गलत कह रही हूँ ? आंटी चुपचाप मुझे सुन रहीं थी बोलीं तो कुछ नहीं बस अपना हाथ सर पर रख कर मुस्कुरा दीं , उनकी चुप्पी बहुत कुछ बोल रही थी ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 30/09/2019 )

Language: Hindi
508 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Mamta Singh Devaa
View all
You may also like:
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★डॉ देव आशीष राय सर ★
★ IPS KAMAL THAKUR ★
मुक्तक
मुक्तक
sushil sarna
सच तो हम और आप ,
सच तो हम और आप ,
Neeraj Agarwal
श्री कृष्ण भजन
श्री कृष्ण भजन
Khaimsingh Saini
इस दुनिया के रंगमंच का परदा आखिर कब गिरेगा ,
इस दुनिया के रंगमंच का परदा आखिर कब गिरेगा ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
तेरा-मेरा साथ, जीवनभर का ...
Sunil Suman
"सफलता का राज"
Dr. Kishan tandon kranti
लौह पुरुष - दीपक नीलपदम्
लौह पुरुष - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बेवजह यूं ही
बेवजह यूं ही
Surinder blackpen
*नेत्रदान-संकल्प (गीत)*
*नेत्रदान-संकल्प (गीत)*
Ravi Prakash
ऐ वसुत्व अर्ज किया है....
ऐ वसुत्व अर्ज किया है....
प्रेमदास वसु सुरेखा
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
प्रेम में मिट जाता है, हर दर्द
Dhananjay Kumar
समन्वय
समन्वय
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सत्य बोलना,
सत्य बोलना,
Buddha Prakash
दीवाली शुभकामनाएं
दीवाली शुभकामनाएं
kumar Deepak "Mani"
यक्षिणी / MUSAFIR BAITHA
यक्षिणी / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
मन डूब गया
मन डूब गया
Kshma Urmila
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
जल उठी है फिर से आग नफ़रतों की ....
shabina. Naaz
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
बुंदेली दोहा प्रतियोगिता-152से चुने हुए श्रेष्ठ दोहे
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
ज़ख़्म ही देकर जाते हो।
Taj Mohammad
*
*"सीता जी का अवतार"*
Shashi kala vyas
#लघु_व्यंग्य
#लघु_व्यंग्य
*प्रणय प्रभात*
कवि के उर में जब भाव भरे
कवि के उर में जब भाव भरे
लक्ष्मी सिंह
मुझे भी
मुझे भी "याद" रखना,, जब लिखो "तारीफ " वफ़ा की.
Ranjeet kumar patre
" आखिर कब तक ...आखिर कब तक मोदी जी "
DrLakshman Jha Parimal
साझ
साझ
Bodhisatva kastooriya
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
कभी अपने लिए खुशियों के गुलदस्ते नहीं चुनते,
Shweta Soni
"रेलगाड़ी सी ज़िन्दगी"
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
काले काले बादल आयें
काले काले बादल आयें
Chunnu Lal Gupta
रास्ते अनेको अनेक चुन लो
रास्ते अनेको अनेक चुन लो
उमेश बैरवा
Loading...