“मेरे जीवन साथी”
डॉ लक्ष्मण झा परिमल
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तुम्हारे बिना मेरा गुजारा नहीं है तुझे छोडकर मैं अब जाऊँ कहाँ
दूर ही रहकर जो तुमको देखा मुझको तेरे बिन न भाए यहाँ
तुम्हारे बिना मेरा गुजारा नहीं है तुझे छोडकर मैं अब जाऊँ कहाँ
दूर ही रहकर जो तुमको देखा मुझको तेरे बिन न भाए यहाँ
करो कुछ यतन
मिलते रहें हम
नए गीतों की
रचना करें हम
संगीत का हो
संगम यहाँ पर
नए धुन की
रचना करें हम
तुझे छोड के मेरी रचना अधूरी सुंदर सा संगीत मैं पाऊँ कहाँ
दूर ही रहकर जो तुमको देखा मुझको तेरे बिन न भाए यहाँ ………
तुम्हें पाया है
मुझे सबकुछ मिला
मेरे दिल में
प्यारका फूल खिला
जीवन में खुश
रहना है मुझको
एक नया प्यारा का
सिलसिला मिला
इस पल को कोई कैसे भुलाए इसे छोड कर अब जाऊँ कहाँ
दूर ही रहकर जो तुमको देखा मुझको तेरे बिन न भाए यहाँ
करो आज वादा
हम साथ होंगे
जनम जनम तक
नहीं बिछुड़ेंगे
आए कोई भी
हम पे मुसीबत
नहीं गम है कोई
मिलके लड़ेंगे
जन्नत मिली मुझे तेरे साथ रहके ऐसी जगह आखिर मैं पाऊँ कहाँ
दूर ही रहकर जो तुमको देखा मुझको तेरे बिन न भाए यहाँ
तुम्हारे बिना मेरा गुजारा नहीं है तुझे छोडकर मैं अब जाऊँ कहाँ
दूर ही रहकर जो तुमको देखा मुझको तेरे बिन न भाए यहाँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा परिमल
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
06.03.2024