“”मेरे गुरु की ही कृपा है कि_
“”मेरे गुरु की ही कृपा है कि_
मैं अंधकार से निकल कर प्रकाश की और बढ़ पाया।
कलम दी हाथ में_ लिखवाया मुझसे_
सीख सीख कर मैं पढ़ पाया।।
वंदना जितनी करूं उनकी वह कम है__
जीवन मेरा उन्हीं के कारण मैं गढ़ पाया।।
मेरे समस्त गुरुजनों को बारंबार नमन
कवि राजेश व्यास “अनुनय”