मेरे कुछ हाइकु
मेरे कुछ हाइकु
*अनिल शूर आज़ाद
सूरज छिपा
घिरने लगी सांझ
विहग उड़े।
हंसा चन्द्रमा
रात्रि-रानी देख के
नाचे तारक।
यह अंदाज़
तुम्हारी कसम
भूलेगा नहीं।
मेरे कुछ हाइकु
*अनिल शूर आज़ाद
सूरज छिपा
घिरने लगी सांझ
विहग उड़े।
हंसा चन्द्रमा
रात्रि-रानी देख के
नाचे तारक।
यह अंदाज़
तुम्हारी कसम
भूलेगा नहीं।