मेरे कन्हैया प्रभु
मेरे कन्हैया प्रभु
*************
मेरे मन में बस जाओ कन्हैया मेरे,
सुबह उठते ही तुम्हें मै निहारा करूं।
चराते हो जो गईया मधुबन में प्रभु
उन गायों का मैं नित्य दुग्ध पान करूं।
बजाते हो बंसी जो यमुना तट पर
उस बंसी की तान में रोज श्रवण करूं।
खाते हो जो माखन मिश्री प्रभु तुम,
उस माखन को मैं रोज तैयार करूं।
खेलते हो जिस गेंद से प्रभु तुम,
उस गेंद को रोज मै उछाला करूं।
क्रीड़ा करते हो जो नंद यशोदा के आंगन में,
उस क्रीड़ा को मैं नित्य निहारा करूं।
रचाते हो रास जो गोपियों के संग प्रभु ,
उस रास को अपने नेत्रों से देखा करूं।
दिए हैं उपदेश गीता में प्रभु तुमने,
उन उपदेशों को जीवन में उतारा करूं।
किये हैं बहुत कार्यकलाप प्रभु तुमने,
रस्तोगी उन सबको भक्तो को सुनाया करू।
रामकृष्ण रस्तोगी गुरुग्राम