मेरे अश’आर
दूर रहकर भी पास लगने लगे हैं ।
बस वो मुझे ख़ास लगने लगे हैं ।।
सभी ने तोड़ी है उम्मीद सफ़र में ।
अब वो आख़िरी आस लगने लगे हैं ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ,इंदौर
©काज़ीकीक़लम
दूर रहकर भी पास लगने लगे हैं ।
बस वो मुझे ख़ास लगने लगे हैं ।।
सभी ने तोड़ी है उम्मीद सफ़र में ।
अब वो आख़िरी आस लगने लगे हैं ।।
©डॉक्टर वासिफ़ काज़ी ,इंदौर
©काज़ीकीक़लम