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9 Dec 2020 · 1 min read

मेरे अल्फ़ाज़

वो मेरे अल्फ़ाज़ को ताना तीर समझ बैठा!
नादान मेरी कलम को शमशीर समझ बैठा!

नाकाम सारी कोशिशें फ़ैसले ना थे हक में!
मंज़ूर-ए-खुदा कह के तकदीर समझ बैठा!
#LafzDilse By Anoop Sonsi

Language: Hindi
5 Likes · 4 Comments · 475 Views
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