मेरे अल्फाज
1 कही तो मिलेगी मुझे मेरी मंजिल
यह दिल का मुसाफिर चला जा रहा है।
2बड़ा गुमान था मुझे मेरी चाहत का
कमबख्त!ना गुमान रहा,ना चाहत।
:कुमार किशन कीर्ति
1 कही तो मिलेगी मुझे मेरी मंजिल
यह दिल का मुसाफिर चला जा रहा है।
2बड़ा गुमान था मुझे मेरी चाहत का
कमबख्त!ना गुमान रहा,ना चाहत।
:कुमार किशन कीर्ति