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1 Jan 2023 · 1 min read

मेरे अनुभव 1

मेरे अनुभव…
आज मैं अपना परिवर्तन का प्रथम अनुभव बताना चाहता हूं। 1 अप्रैल 1957 को भारत सरकार ने विभिन्न क्षेत्रों में नापतोल की असमानताएं समाप्त करने के लिए नई प्रणाली जिसका नाम दशमलव प्रणाली रखा गया था, आरम्भ की। इससे पूर्व अधिकतर षष्टांक प्रणाली प्रचलन में थी। जिसमें आधा, तिहाई, चौथाई, छठा, हिस्सा गणना में आता था। इसके अंतर्गत ब्रिटिश पद्धति जिसे FPS पद्धति कहा जाता था प्रचलन में था।विभिन्न पूर्व रियासतों में सभी के अपने-अपने मापतोल प्रचलन में थे। अपनी-अपनी मुद्राएं भी थी। उन सभी को समान रूप देने के लिए यह पद्धति अपनाई गई,जिसमें एक रुपए में 100 पैसे किए गए जो पहले 64 पैसे होते थे।
सतीश राजपूत,
जयपुर।

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