मेरे अंतस में ……
मेरे अंतस में ….
कौन
मेरी हथेली की लकीरों में
आसमान लिख गया
स्मृति मेघ की बूंदों से
मन विहग के संचित
सारे अरमान लिख गया
मैं देखती रही
अपलक
क्षितिज को चूमते
जलधि को
जिसकी वीचियों पर
चुपके से
कोई
मेरे मन की
हीर लिख गया
मैं
समझ न सकी
कब
कोई मेरे अंतस में
मेरी ज़िंदगी की
तक़दीर लिख गया
सुशील सरना/23-1-24