मेरी सोच (गजल )
चमकता हीरा जरूर है पर वो सितारा नहीं होता।
बेचारगी नजर आए पर हर शख्स बेचारा नहीं होता
कुछ तो करम होगा खुदा का मेरी मां के सिर पर।
बरना इस तरहा से उसने मुझे संवारा नही होता।।
मजबूरियां कुछ तो रही होंगी जरूर समुंदर की।
लबरेज होकर कोई इस तरहा खारा नहीं होता ।।
अपने अक्श को आईने में देखकर बता खुद को।
जमाना इस तरहा किसी के लिए बुरा नहीं होता।।
तेरा आशियाना बनाएगा खुदा एक दिन देखना।
भटकते हर मुसाफिर का यूं ही बसेरा नहीं होता।।
खत से हाले दिल अपना यूं बताया ना कीजिए।
आके देख लो मुझको दूर रहना गवारा नहीं होता।।
आंख से झरते आंसू ही तेरे गम को बयां करते हैं।
ना होता दर्द गर तो गमगीन तेरा चेहरा नहीं होता।।
चहकती चिड़ियां ये गुल से भरे बागे गुलशन हैं।
बगैर इनके ज़मीं ये जहां इतना प्यारा नहीं होता ।।
उमेश मेहरा
9479611151