मेरी सिंगवाहिनी
दर्शन दे दो मुझको आज, माई जगदम्बा भवानी ।
कर दो पूरण मेरे काज , माई जगदम्बा भवानी ।।
तेरे दर्शन को आए माता , दर्शन तो हम करेंगे ।
जयकारा, करताल ध्वनि , गुंजन तो हम करेंगे ।
नैनन बस जाओ तुम आज , माई जग कल्यानी।।
दर्शन दे दो ……………………..
घट-घट में तुम बसी हो , माँ घट स्थापन करेंगे।
लाल चुनरी, लाल चोला , तुझे हम अर्पन करेंगे ।
मंसा पूरन कर दे “लाल”, माई मेरी सिंग वाहिनी।।
दर्शन दे दो ……………………………
अंत विनय सुन माता मेरी , निर्मलता मन भर दे।
हित कर्मो को नित्य करूँ, शक्ति जीवन भर दे ।।
“जय” गाए नित तेरे गान , माई मेरी शक्ति दायिनी।।
दर्शन दे दो ……………………………
संतोष बरमैया “जय”
कोदझिरी, कुरई, सिवनी, म.प्र.