मेरी सरलता की सीमा कोई नहीं जान पाता
मेरी सरलता की सीमा कोई नहीं जान पाता
शायद इसीलिए कुछ लोग अपनी हदें भूल जाते हैं ।
और जब वे खो देते हैं,मेरा अपना पन
तो वे चाह कर भी मुझे अपना बना नहीं पाते हैं।
मैंने हर परिस्थिति को सहजता से स्वीकारा है
कभी नाम तो कभी बदनामी में मेरी ही बातें हैं।
वादी नहीं हूं मैं,किसी कटघरे में खड़ा यारों
रहने दो मुझे ऐसे ही अब,जो मेरी हालतें हैं