मेरी वफ़ाई काम नहीं आई
मेरी वफ़ाई काम नहीं आई
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मेरी वफाई काम नहीं आई,
तेरी बेवफ़ाई में मार है खाई।
महलों में तेरे हैं खीर-हलवे,
होते हर दम प्रेम के जलवे,
हमारे लिए हुई प्रीत-पराई।
मेरी वफ़ाई काम नही आई।
दिल है तोड़ा जान खिलौना,
रोज़ बदलते पलंग बिछौना,
होगी कैसे बता प्रेम भरपाई।
मेरी वफाई काम नहीं आई।
हम पीछे-पीछे तुम थे आगे,
कच्चे रेशमी हैं प्रेम के धागे,
चलें तेरे पीछे बन परछाई।
मेरी वफ़ाई काम नहीं आई।
मनसीरत तो मन का सच्चा,
खा गया तेरे प्यार में गच्चा,
समझ से परे है तेरी रुसवाई,
मेरी वफ़ाई काम नहीं आई।
मेरी वफ़ाई काम नहीं आई।
तेरी बेवफ़ाई में मार हैं खाई।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)