मेरी मुक्तक माला
किताबों के सभी पन्ने में तेरा नाम लिखता हूं
मेरे महबूब तुझको अब सुबह से शाम लिखता हूं
सभी प्रश्नों के उत्तर में तेरा ही नाम आता है
मेरे जख्मों की मरहम आपको मैं बाम् लिखता हूं।
खता कुछ भी नहीं मेरी मगर वो डांट देते हैं
चढ़ाकर पेड़ पर मुझको जड़ें खुद काट देते हैं
दिखाकर प्रेम की लालच बनाए थे मुझे अपना
वो अपना प्रेम अब औरों के संग में बांट देते हैं।
मेरा ये प्रेम पावन, पारदर्शी और निर्मल है
डूब कर देख ले दृग में छलकता प्रेम का जल है
कुमुदिनी हो मेरी तुम, मैं तुम्हारा हूं भ्रमर प्रीतम
तेरे दिल में समाया हूं जहां पर प्रीति का तल है।
मिले गर साथ तेरा तो, हर-इक गम भूल जाऊंगा
लगेगा फूल सा मुझको , भले ही शूल पाऊंगा
मिली गर ना मुझे जाने तम्मन्ना , तो ये है वादा
महल के सामने तेरे , किसी दिन झूल जाऊंगा
फैसला आखिरी कर तू, मुझे पाना या खोना है
तुम्हारी याद में मुझको सनम दिन रात रोना है
थकावट बढ़ गई है और अब मैं चल नहीं सकता
मेरा चादर मंगा दे तू मुझे जी भर के सोना है।
मोहब्बत में कभी दौलत का सौदा यार मत करना;
अगर करना हो ऐसा तो कभी भी प्यार मत करना:
मुझे सीसे के जैसा तोड़कर तुमने किया है जो:
मेरी विनती है ऐसे इश्क़ का इज़हार मत करना।
तुम्हारे जन्मदिन पर दिल से शुभ आशीष देता हूं
नहीं उपहार है तो क्या, तुम्हें निज शीश देता हूं
मुझे तुम भूलकर खुश हो मगर दिल की मेरे सुन लो
नयन के नीर से मरुभूमि उर की सींच लेता हूं।
घड़ी की सूइयां भी अब तुम्हारा नाम गाती हैं
बताऊं क्या तुम्हें कि ये मुझे कितना सताती हैं
मेरे दिल पर हथौड़ा मार कर मुझको करें घायल
तुम्हारी याद देकर ये मुझे हर पल रुलाती हैं।
महज मजबूरियों ने ही मुझे कायर बनाया है
दहकता हूं नहीं फिर भी मुझे फायर बनाया है
जुदाई की अगन में जल रहा हूं देख ले आकर
तेरी नाराज़गी ने ही मुझे शायर बनाया है।
जुदा मैं हूं नहीं तुमसे, जुदा तुम सोच मत लेना;
ग़लत फहमी में आकर तुम ,छुरा ही भोंप मत देना;
अभी भी एक तरफा प्रेम तुमसे कर रहा हूं मै;
भले तुम जान ले लेना, मगर कोई दोष मत देना।
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✍️शक्ति त्रिपाठी “देव”?
बस्ती -उत्तर प्रदेश
भारत