Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
14 Nov 2018 · 3 min read

मेरी माँ !!

देवी और सज्जनों आप सभी को मेरा नमस्कार , आप सभी का अभार प्रकट करते हुए मैं अभिनन्दन करता हूँ । मेरे प्यारे दोस्तो! आज मैं कुछ पल के लिए एकान्त मे बैठा था, न जाने क्यों मेरा मन बचपन के कुछ क्षणों मे चला गया और मेरे जहन मे न जाने क्यों एक अजीब सी पीड़ा और एक दर्द सा उठा और मुझे मेरी माँ का याद आ गया। बचपन के दिन कितने अच्छे थें,जब हम खुलकर रोया करते थें, अपने सारे गमो और दुखो को अपने माँ से रो-रो कर बताया करते थें। विद्यालय से जब चार बजें छुट्टी होती थी, तो अपने नन्हें कदमों को तेजी से भगाते हुए सिर्फ घर पहुँचने कि एक आश होती थी। घर जैसे ही पहुँचता था, देखता कि माँ पहले से इन्तजार मे घर की डेहराचे पर बैठी थी। माँ तुरन्त कन्धों से बस्ते को उतारती, विद्यालय के कपड़े को बदलती, हाथ-पाव मुँह धुलाकर भोजन कि थाली सजाकर परोसती और बिना भूख के दो रोटी जबर्दस्ती खिलाती फिर बोलती जावो अब खेलो। हम अपने हम उम्र के बच्चों के साथ खेलने चले जाते थे, उधर सूरज असताचल के तरफ गतिमान हैं,धीरे-धीरे शाम होने लगती, इधर माँ घर के दिया-बत्ती की तैयारी करती, हमारे पढ़ने के लिए लालटेन की काँच को साफ करती, उसमें तेल भरती। फिर माँ एक कड़क स्वर मे बोलती तुम्हे पढ़ना नही है क्या? फिर हाथ-पैर धुला कर सात बजें पढ़ने के लिए बैठा दिया जाता तो रात नौ बजें तक पढ़ते थें। फिर भोजन करने के बाद सोने के तैयारी होती। अपना मिट्टी का घर था, जो किसी ताजमहल से कम नहीं था, घर मे एक ही तख्ता था जो हमेशा राज सिंहासन जैसा सजा रहता था। माँ के साथ गोदी मे लिपट कर सोना, रात मे घर के आँगन मे चमकते तारो को देखना, चाँद को देखकर मुस्कुराना , आकाश मे टिमटिमाती उड़तीं हुए वायुवान को गिनना, बगल मे बजती हुए रेडियो से संगीत सुनना, हवाओं का मन्द-मन्द बहना, माँ से जिद्द करके राजा-रानी, वीर-आदर्शों, महापुरुषों कि कहानियाँ सुनना, प्रशन पूछना उसके बाद माँ से लिपट कर जीवन के सुखमय सपने मे डूब कर सो जाना। क्या राते थी वो, क्या बातें थीं वो? सुबह-सुबह उठकर कोयल के मीठे स्वर को दोहराना उसे परेशान करना बड़ा अच्छा लगता था। विद्यालय जाते समय माँ की आँचल को पकड़कर लटकजाना और माँ से कहना! आज माँ तेरी बहुत याद आ रही हैं,आज मैं पढ़ने नहीं जाउंगा, माँ कठोर बनकर डाट-फटकार पढ़ने के लिए भेज देती थी, कभी-कभी माँ ,माँ कि ममता मे फसकर रोक लेती थी। हर दुख मे माँ ढाल बनकर खड़ी हो जाती थी, जरा सा भी चोट लगता माँ की एक फूक ही मरहम बनजाती थी। कही से भी आता माँ कुछ खाने वाली चीज देती थी, खुद ना खाकर हमारे लिए खाने वाली चीज रख देती थी। बहुत ही संघर्षों से माँ ने हमें बड़ा किया।
मेरे प्यारे दोस्तो ! त्याग का नाम ही माँ है, ईश्वर हर जगह नहीं रह सकता इसलिए उसने माँ बनाया । मैं मनुष्यत काया मे होते हुए भी माँ का वर्णन करने मे असमर्थ हूँ । अगर मैं सम्पूर्ण पृथ्वी को कागज बना लूं , समस्त वृक्ष को कलम बना लूं और समस्त समुद्र के जल को स्याही बना लूं , हे ! माँ फिर भी मैं आपका वर्णन करने मे असमर्थ हूँ । हे ईश्वर ! अगर मैने जीवन मे सत्-कर्म किये तो, अगर मुझे पुन: मानव शरीर मिले तो, मुझे उस माँ की गोदी मे ही डालना। हे माँ! मैं तेरा हर जन्म मे बेटा बनूँ यहीं मेरी कामना हैं। इस पृथ्वी की समस्त माँताओ को मेरा नमन।
हे माँ !
-शुभम इन्द्र प्रकाश पाण्डेय

ग्राम व पोस्ट -कुकुआर, पट्टी , प्रतापगढ़, उत्तर प्रदेश

Language: Hindi
Tag: लेख
6 Likes · 18 Comments · 388 Views

You may also like these posts

रात घिराकर तम घना, देती है आराम
रात घिराकर तम घना, देती है आराम
Dr Archana Gupta
नजरिया
नजरिया
नेताम आर सी
कब आयेंगे दिन
कब आयेंगे दिन
Sudhir srivastava
बारिश का मौसम
बारिश का मौसम
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
हिन्दू जागरण गीत
हिन्दू जागरण गीत
मनोज कर्ण
प्रेम और विश्वास
प्रेम और विश्वास
Rambali Mishra
प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी)
प्रकृति संरक्षण (मनहरण घनाक्षरी)
मिथलेश सिंह"मिलिंद"
नेपालीको गर्व(Pride of Nepal)
नेपालीको गर्व(Pride of Nepal)
Sidhartha Mishra
" ऐ मेरे हमदर्द "
Dr. Kishan tandon kranti
कलेवा
कलेवा
Satish Srijan
दुनिया की कोई दौलत
दुनिया की कोई दौलत
Dr fauzia Naseem shad
बेटी से प्यार करो
बेटी से प्यार करो
Neeraj Agarwal
हमको लगता है बेवफाई से डर....
हमको लगता है बेवफाई से डर....
Jyoti Roshni
आँखों मे नये रंग लगा कर तो देखिए
आँखों मे नये रंग लगा कर तो देखिए
MEENU SHARMA
*पीड़ा ही संसार की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है*
*पीड़ा ही संसार की सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है*
Ravi Prakash
Red Rose
Red Rose
Buddha Prakash
जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब
जरूरी नहीं ऐसा ही हो तब
gurudeenverma198
..
..
*प्रणय*
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?
ग़ज़ल के क्षेत्र में ये कैसा इन्क़लाब आ रहा है?
कवि रमेशराज
पिता के पदचिह्न (कविता)
पिता के पदचिह्न (कविता)
गुमनाम 'बाबा'
3420⚘ *पूर्णिका* ⚘
3420⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
শিবকে ভালোবাসি (শিবের গান)
শিবকে ভালোবাসি (শিবের গান)
Arghyadeep Chakraborty
शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं....
शहर का मैं हर मिजाज़ जानता हूं....
sushil yadav
बदली मन की भावना, बदली है  मनुहार।
बदली मन की भावना, बदली है मनुहार।
Arvind trivedi
मेरा गुरूर है पिता
मेरा गुरूर है पिता
VINOD CHAUHAN
मेरे पास सो गई वो मुझसे ही रूठकर बेटी की मोहब्बत भी लाजवाब ह
मेरे पास सो गई वो मुझसे ही रूठकर बेटी की मोहब्बत भी लाजवाब ह
Ranjeet kumar patre
कृष्ण जन्म / (नवगीत)
कृष्ण जन्म / (नवगीत)
ईश्वर दयाल गोस्वामी
यूँ ही
यूँ ही
हिमांशु Kulshrestha
दो दोहे
दो दोहे
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
नैया फसी मैया है बीच भवर
नैया फसी मैया है बीच भवर
Basant Bhagawan Roy
Loading...