मेरी मधुशाला
सारे गम भुला देती है जब गले उतरती है हाला
चेहरे पर मुस्कान लिए जब आती साकी बाला
तुम भी सारे गम भुला पास में आकर बैठो तो
आपस में फिर टकराएगा प्याले से मेरा प्याला
छलक कर दो बूंद ज़मीं पर गिरती प्यालों से हाला
मत छलकाओ यूँ बर्बाद करो ना तुम साकी बाला
बूंद बूंद संजो कर ही तो मैं ये पूरी बोतल लाया हूँ
सूखा गला तर हो जाता मिल जाती इक बूंद हाला
होश रहे मुझको जबतक पिलाती रहना तुम हाला
और पिलाती रहना जब तक खुली रहे मधुशाला
सबके जाने के बाद ही मुझसे जाने को तुम कहना
अब मुझसे तुम दूर ना जाना ओ मेरी साकी बाला
समय ये मेरा अंतिम है अंतिम साकी अंतिम हाला
अंतिम इच्छा भी मेरी अब सुन लो ए साकी बाला
कंधो पर मुझको यहीं से तुम शमशान पहुंचा देना
और चिता को अग्नि भी तुम ही देना साकी बाला
वीर कुमार जैन
28 अगस्त 2021