मेरी बेटी मेरा अभिमान
मेरी बेटी मेरा अभिमान
22 अप्रैल 2023 की दोपहर का समय था। मैं ऑफिस में रोजमर्रा की फाइलें निपटा रहा था। तभी फोन की घंटी बजी। देखा श्रीमती जी का फोन है। सामने दीवार पर टंगे घड़ी की ओर देखा। ढाई बज रहे थे। मैंने फोन उठाया, “हलो।”
“हलो पापा…।” उधर से मेरी छह साल की बेटी परिधि, जिसे हम प्यार से परी संबोधित करते हैं, बोली।
“अरे परी बेटा…, आप हो ? आप आ गईं स्कूल से ?”
“हां पापा। स्कूल से तो कब की आ गई मैं। मैंने खाना भी खा लिया है अब तक।”
“गुड।”
“आप अभी क्या कर रहे हैं ?”
“काम कर रहा हूं बेटा।”
“आज आपके टिफिन में क्या था ?”
“देखा नहीं बेटा अब तक ?”
“मतलब अभी तक आपने टिफिन फिनिश नहीं किया है ?”
“नहीं बेटा, थोड़ी देर में कर लूंगा।”
“कब तक कर लेंगे पापा ?”
“बस बेटा, ये दो-तीन जरूरी फाइलें हैं। इन्हें निपटा कर टिफिन फिनिश कर लूंगा।”
“ये गुड मैनर नहीं है पापा। टिफिन टाइम पर फिनिश कर लेना चाहिए। आप अक्सर भूल जाते हैं और फिर शाम को वापस घर ले आते हैं।”
“हूं… अच्छा बेटा, आप ये बताओ कि अभी फोन क्यों किया है ?”
“बस पापा, आपको ये पूछने के लिए ही फोन किया था कि आज आपने अपना टिफिन फिनिश किया है कि नहीं ?”
“अच्छा ?”
“हां, और नहीं तो क्या ? आपके ऑफिस में तो कोई मैडम या सर चेक करते हैं नहीं कि आप लोग टिफिन फिनिश किए हैं या नहीं ?”
“हां, ये बात तो है बेटा। मैं आज पक्का फिनिश कर लूंगा। प्रॉमिस।”
“कब तक फिनिश कर लेंगे पापा ?”
“बस बेटा 20-25 मिनट में।”
“ठीक है फिर। मैं ठीक तीन बजे आपको विडियो काल करके चेक करूंगी कि आपने लंच किया कि नहीं।”
“अच्छा… ?”
“हां… और नहीं तो क्या ? आप फिर से भूल गए तो ?”
“क्या अब तुम रोज ऐसे चेक करती रहोगी ?”
“रोज नहीं पापा। अभी 3-4 दिन रेगुलर चेक करूंगी, फिर तो आपकी आदत पड़ जाएगी न। टाइम पर टिफिन फिनिश करने की। हां अगर आपको लंच में कोई चीज पसंद नहीं हो तो मुझे बता दिया कीजिए। मम्मी को समझा दूंगी। थोड़ा सा होमवर्क है। उसे निपटा कर ठीक तीन बजे आपको विडियो काल करती हूं। अच्छा बाय”
उसके द्वारा फोन काटने के बाद मैं सोचने लगा कि बेटी यूं ही नहीं होती दिल के करीब।
– डॉ. प्रदीप कुमार शर्मा
रायपुर, छत्तीसगढ़
9827914888