मेरी बिगड़ी भी तू ही बना श्यामलं
अच्युतं केशवं कृष्णं वल्लभं
स्वागतं स्वागतं स्वागतं स्वागतं….
मथुरा और वृन्दावन में करिश्मा किया
होनी अनहोनी अनहोनी होनी किया
एक अंगुली पे गोवर्धन धरे माधवं…
जयद्रथ वध हुआ उसका तारण हुआ
हो शुभ जग का, कंस-मारण हुआ
धर्म रक्षा ही तेरा करम केशवं….
हुआ कल्याण जिसने भरोसा किया
एक तू ही किशन है सहारा मेरा
मेरी बिगड़ी भी तू ही बना श्यामलं…
अच्युतं……. स्वागतं………