मेरी प्रेरणा – सुषमा स्वराज “
आलेख
”
“नरगिस थी तू वतन की खियाबां की बहार थी।
नूरे चमन थी सुषमा तू तो सबकी दिलदार थी।”
अद्भुत अप्रतिम व्यक्तित्व की स्वामिनी थी सुषमा स्वराज। आद्योपांत भारत भूमि की गरिमामय नारी का प्रतिनिधित्व किया था सुषमा जी ने। निडर बेबाक व प्रतिभाशाली गौरवशाली था सुषमा जी का सम्पूर्ण जीवन। भारत ही नहीं अपितु सकल विश्व की करोड़ों
नारियों की प्रेरणा स्रोत थीं वे।
सुषमा के जीवट स्वभाव और निडरता उनके इस भाषण में सुनिए – – – “भारत और पाकिस्तान एक साथ स्वतंत्र हुए थे। स्वतंत्रता के बाद आज भारत डॉक्टर और वैज्ञानिक पैदा कर रहा है तो पाकिस्तान आतंकवादी और जिहादी पैदा कर रहा है।” भारत ने आईआईटी, आईआईएम, एम्स जैसे संस्थान बनाए तो पाकिस्तान ने लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठन पैदा किए।”
“आवाज़ थी बुलन्द तेरी शेरनी थी तू
बेखौफ थी बेबाक थी तू न नाचार थी।”
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सुपुत्री इवांका ने उनसे एक औपचारिक भेंट के पश्चात् सुषमा को करिश्माई विदेश मंत्री बताया। इवांका ने एक ट्वीट में कहा, “मैं लंबे समय से भारत की कुशल एवं करिश्माई विदेश मंत्री सुषमा स्वराज का सम्मान करती हूं। उनसे मिलना सम्मान की बात है।”
संक्षिप्त जीवन परिचय :——
1.जन्म 14 फरवरी 1952
2.जन्म स्थान – अम्बाला छावनी हरियाणा (तब पंजाब)
3.विवाह पूर्व का नाम सुषमा शर्मा
4.पिता की नाम श्री हरदेव शर्मा (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख सदस्य)
5.माता का नाम – श्रीमती लक्ष्मी देवी
6.सुषमा का परिवार मूल रूप से लाहौर के धरमपुरा क्षेत्र का निवासी था जो अब पाकिस्तान में है।
7.उन्होंने अम्बाला के सनातन धर्म कॉलेज से संस्कृत तथा राजनीति विज्ञान में स्नातक किया।
8.1970 में उन्हें अपने कालेज में सर्वश्रेष्ठ छात्रा के सम्मान से सम्मानित किया गया था।
9. वे तीन वर्षों तक निरन्तर एस॰डी॰ कालेज छावनी की एन सी सी की सर्वश्रेष्ठ कैडेट
10.तीन वर्ष तक राज्य की सर्वश्रेष्ठ हिन्दी वक्ता भी चुनी गईं।
11.तत्पश्चात् उन्होंने पंजाब विश्व विद्यालय, चण्डीगढ़ से विधि की डिग्री अर्जित की।
12.पंजाब विश्वविद्यालय से भी उन्हें 1973 में सर्वोच्च वक्ता का सम्मान मिला था।
13.1973 में ही सुषमा भारतीय सर्वोच्च न्यायलय में अधिवक्ता के पद पर कार्य करने लगी।
14.13 जुलाई 1975 को उनका विवाह स्वराज कौशल के साथ हुआ जो सर्वोच्च न्यायालय में उनके सहकर्मी और साथी अधिवक्ता थे। कौशल छह साल तक राज्यसभा में सांसद व मिजोरम प्रदेश के राज्यपाल भी रह चुके हैं।
15.स्वराज दम्पत्ति की एक पुत्री है, बांसुरी, जो लंदन के इनर टेम्पल में वकालत कर रही हैं।
16.सुषमा राजनीति में 25 बरस की उम्र में आईं थीं. सुषमा के राजनीतिक गुरु लाल कृष्ण आडवाणी रहे थे।
17.67 वर्ष की आयु में 6 अगस्त 2019 11:24 बजे सुषमा स्वराज का दिल्ली में निधन हो गया।
आपका सुन्दर व्यक्तित्व :——-
साहसिक स्वभाव – शंघाई पुदोंग अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक चीनी एयरलाइन के कर्मचारियों द्वारा भारतीयों के साथ किए गए दुर्व्यवहार का मामला तत्परता से चीन के समक्ष उठाया।
तीव्र सकारात्मक निर्णय -ऐसे निर्णय लेना उनके बाएं हाथ का खेल था। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने मैक्सिको में आए जबर्दस्त भूकंप में भारतीय सुरक्षित होने का ट्वीट कर कहा, ‘मैंने मैक्सिको में अपने राजदूत से बातचीत की है। सभी भारतीय सुरक्षित हैं।’ देशहित उनके लिए सर्वोपरि था। वे एक साहसिक सोच वाली बहादुर भारतीय महिला थीं।
व्यक्तित्व की सहजता व सरलता –
जब नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ संयुक्त प्रेस वार्ता कर रहे थे, तभी उन्हें खांसी आ गई। देउबा को खांसते देखकर सुषमा ने तुरंत उन्हें स्वयं उठकर एक गिलास पानी पीने को दिया।
सहयोग व मानवीयता – वर्ष 2017 में विदेश मंत्री सुषमा स्वराज द्वारा मंत्रालयीन कार्यों के अविलम्ब निपटान से पड़ोसी देश पाकिस्तान में भी विख्यात हो गई। पाकिस्तान से इलाज हेतु आने वालों को तत्काल वीजा दिलवाने की व्यवस्था करवाती थीं। सुषमा स्वराज की इस अपनत्व पूर्ण सहयोग भावना से हिजाब आसिफ नाम की एक पाकिस्तानी महिला इतनी भावुक हो गई कि उसने ट्विटर पर सुषमा स्वराज के लिए मैसेज किया कि “काश आप मेरे देश की प्रधानमंत्री होतीं तो मेरा देश बदल जाता। ”
देश प्रेम का जज्बा – गत वर्ष देश को स्तब्ध करने वाले प्रकरण में सुषमा की भूमिका की प्रशंसा हुई। मामला था एक भारतीय महिला उजमा की मजबूरन पाकिस्तानी व्यक्ति से शादी की गयी थी। उसे अपने देश वापिस लौटाने में सुषमा जी ने अहम भूमिका निभाई। सुषमा ने उजमा को ‘भारत की बेटी’ बताते हुए ट्वीट किया, ‘आपको जिन परिस्थितियों से गुजरना पड़ा, उसका मुझे दुख है।’
निडरता व स्पष्टवादिता – सुषमा स्वराज का ही दमखम का ही परिणाम था कि भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव पर पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी और चुनौती दी। नतीजतन पाक कुलभूषण से उनकी मां और पत्नी को मिलवाने के लिए बाध्य हुआ।पाकिस्तान में कुलभूषण की पत्नी और मां के साथ हुए दुर्व्यवहार की खबरें आई तो सुषमा ने कड़े शब्दों में पाकिस्तान को आड़े हाथों लिया।
“देखे उठाकर आँख को भी कोई वतन को
कोई भी ख़ता दुश्मन की तुझे नागवार थी। ”
त्वरित प्रतिक्रिया – उनकी त्वरित प्रतिक्रिया व सक्रिय का जीवंत उदाहरण अनुच्छेद 370 पर सुषमा स्वराज का वो आखिरी ट्वीट, जो उन्होंने निधन से तीन घंटे पहले किया था।
जीवटता:—एक बार उन्होंने अमेरिका में प्रवासी भारतीयों पर हुए आक्रमणों पर अपने बयान पढ़कर खड़गे के प्रश्नों का तीक्ष्ण प्रत्युत्तर दिया। इस पर लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने कहा कि -” बहुत अंतराल पर आपकी दमदार आवाज सदन में गूंजी है। अच्छा लगा।”
सुषमा स्वराज की हाजिरजवाबी, वाणी की प्रखरता और विनम्रता भारतीय राजनीति के लिए अद्वितीय प्रेरणा थीं। वे भारतीय नेत्रियों में सर्वाधिक लोकप्रिय शख्सियत के रूप में विख्यात रहीं।
सुषमा जी के उल्लेखनीय कार्यों के संदर्भ में नरेन्द्र मोदी जी के शब्द – – “उन्होंने और उनके मंत्रालय ने सुशासन देने हेतु तथा दुनिया में कहीं भी परेशान भारतीयों की सहायता हेतु सोशल मीडिया के प्रभावी उपयोग का उदाहरण प्रस्तुत किया है।”
देश अभिभूत था सुषमा के हर कार्य से।
कृतित्व :——–
“वतन परस्ती था तेरा शग़ल तेरी तिश्नगी
तेरी हर धड़कन थी हिन्दुस्तान पर निसार। ”
1.सुषमा हिन्दी प्रेमी व हिन्दी भाषा की प्रबल पक्षधर थीं। सुषमा स्वराज की हिन्दी पर बड़ी शानदार पकड़ थी।
2.संस्कृत से भी उनका विशेष प्रेम था। वे सदा संस्कृत में शपथ लेतीं थीं। उन्होने अनेक अवसरों पर संस्कृत में भाषन दिया।
3.2012 में ‘साउथ इंडिया एजुकेशन सोसायटी’ ने सुषमा को पुरस्कार दिया गया। सम्मान में जो धनराशि मिली थी, वो संस्था को लौटाते हुए बोलीं कि संस्कृत के ही काम में ही यह पैसा लगा दें।
4.इसी प्रकार जून 2015 में 16वां विश्व संस्कृत सम्मेलन बैंकाक में हुआ जिसकी मुख्य अतिथि सुषमा स्वराज थीं। उन्होने यहाँ उद्घाटन भाषण संस्कृत में दिया था।
5.वे अनेक भाषाओं में पारंगत थीं। अंग्रेजी संस्कृत, हरियाणवी, पंजाबी और उर्दू भी। जब कर्नाटक से चुनाव लड़ीं, तो कन्नड भी सीख ली।
6.भाषाज्ञान के साथ वे प्रखर और ओजस्वी वक्ता, प्रभावी सांसद और कुशल प्रशासक थीं। एक समय अटल बिहारी वाजपेयी के बाद सबसे लोकप्रिय वक्ता थीं।
विदेश मंत्री के रूप में सुषमा स्वराज ने सितम्बर 2016 में सयुंक्त राष्ट्र में हिन्दी में ही भाषण दिया था।उनके इस भाषण की पूरे देश में चर्चा हुई थी।
7.विश्व हिन्दी सम्मेलनों में वे बढ चढ़कर भाग लेतीं थीं। हिन्दी को संयुक्त राष्ट्र संघ की आधिकारिक भाषा बनाने के लिए भी उन्होने अनेक प्रयत्न किए।
8.अस्वस्थता के बावजूद सुषमा अपने मंत्रालय की फाइलें घर से ही लगातार निपटाती रहीं। और ट्विटर पर भी सक्रिय रहीं और फोन के माध्यम से कैबिनेट के सहयोगियों के संपर्क में रहीं।
9. सुषमा अपनी हाजिरजवाबी के लिए भी बेहद मशहूर थीं। संसद में चर्चाओं के दौरान उनके जवाबों ने कई बार विपक्षी सदस्यों को चुप कराया तो ट्विटर पर तो उनकी हाजिरजवाबी ने सभी का दिल जीत लिया।
राजनीतिक जीवन:——
1.सत्तर के दशक में ही स्वराज अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद से जुड़ गयी थी।
2. उनके पति, स्वराज कौशल, सोशलिस्ट नेता जॉर्ज फ़र्नान्डिस के करीबी थे, और इस कारण ही वे भी 1975 में फ़र्नान्डिस की विधिक टीम का हिस्सा बन गयी।
3.आपातकाल के समय उन्होंने जयप्रकाश नारायण के सम्पूर्ण क्रांति आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया।
4.आपातकाल की समाप्ति के बाद वह जनता पार्टी की सदस्य बन गयी।
5.1977 में उन्होंने अम्बाला छावनी विधानसभा क्षेत्र से हरियाणा विधानसभा के लिए विधायक का चुनाव जीता और
महानतम महिला के महान कीर्तिमान एवं उपलब्धियाँ – – –
1.भाजपा में राष्ट्रीय मन्त्री बनने वाली पहली महिला सुषमा स्वराज हैं।
2.वे भाजपा की राष्ट्रीय प्रवक्ता बनने वाली पहली महिला हैं।
3.वे कैबिनेट मन्त्री बनने वाली भी भाजपा की पहली महिला हैं।
4. वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमन्त्री थीं।
5.भारत की संसद में सर्वश्रेष्ठ सांसद का पुरस्कार पाने वाली पहली महिला भी वे ही हैं।
6.वे दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री थीं।
7.देश में किसी राजनीतिक दल की पहली महिला प्रवक्ता बनने की उपलब्धि भी उन्हीं के नाम दर्ज है।
8.चौधरी देवी लाल की सरकार में से 1977 से 79 के बीच राज्य की श्रम मन्त्री रह कर 25 साल की उम्र में कैबिनेट मन्त्री बनने का रिकार्ड बनाया था।
9. उन्हें भारत की पहली महिला विदेश मंत्री होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
10.सुषमा भारतीय संसद की प्रथम एवं एकमात्र ऐसी महिला सदस्या हैं जिन्हें असाधारण सांसद का सम्मान मिला है।
11.इनके अलावा ये हरियाणा में हिन्दी साहित्य सम्मेलन की चार वर्ष तक अध्यक्षा भी रहीं।
12.सुषमा स्वराज और उनके पति स्वराज कौशल की उपलब्धियों के कारण रिकार्ड लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में दर्ज़ करते हुए उन्हें विशेष दम्पत्ति का स्थान दिया गया है।
अंतिम यादें:——
श्रीमती स्वराज को गुर्दे की समस्या के बाद अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान में भर्ती कराया गया था। उनके गुर्दों का प्रत्यारोपण किया गया था। लेकिन अपनी इच्छा शक्ति और बुलंद हौसलों से वह शीघ्र स्वस्थ होकर संसद में लौट आयीं।
6 अगस्त 2019 की रात्रि को घर कार्डिएक अरेस्ट होने पर दिल्ली के एम्स अस्पताल में कराया।
वह दुर्भाग्य पूर्ण दिन हमारे महान भारत तथा भारतीय राजनीति के इतिहास में
सदैव एक मनहूस काले दिवस के रूप में जाना जाएगा जिस दिन ‘जन-जन की दुलारी’ भारत माता की प्यारी बेटी भारत की पूर्व विदेश मंत्री और भारतीय जनता पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज भारत में सन्नाटा कर गयी और यह अभूतपूर्व हस्ती चल पड़ी अपनी अंतिम यात्रा पर और हो गई पंचतत्व में विलीन। 7 अगस्त शाम चार बजे दिल्ली में उनका अंतिम संस्कार हुआ।
“हर क़ल्ब रोया बहे हर अब्सार से आँसू
तेरे कूच करने से तो हर रूह बेज़ार थी।”
काश सुषमा आज आप रहतीं और नारी गौरव और मानवीयता के नित्य नव प्रतिमान रचतीं और समूचे विश्व पटल को नारी गरिमा से दैदीप्यमान करतीं……….
वे भारतीय राजनीति का अमिट आलेख थी। उनका असमय देह से विदेह हो जाना भारतीय राजनीति के लिए दुखद एवं गहरा आघात है। उनके निधन से एक युग की समाप्ति हुई। वे न केवल भारत अपितु समस्त संसार की महिलाओं के लिए एक आदर्श थीं प्रेरणा स्रोत थीं एक अद्वितीय उदाहरण थीं। सुषमा का देहावसान नारी जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
उन्हें हम भारतीयता एवं भारतीय राजनीति का ज्ञानकोष कह सकते हैं।
सुषमा स्वराज भारतीय राजनीति ही नहीं वरन राजनीति के वैश्विक पटल पर एक अभूतपूर्व चर्चित व आदर्श चेहरा थीं । वे मेरे जीवन का आदर्श थी। उन्हें मेरा कोटि-कोटि नमन।
“तुझसे थी पहचान हिन्दुस्तान की दुनिया में
एहले वतन का सारे जहाँ में तू एतबार थी। ”
(समाप्त)
लेखिका –
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित मौलिक व अप्रकाशित रचना।
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