मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
मेरी पसंद तो बस पसंद बनके रह गई उनकी पसंद के आगे,
मेरी सपने तो बस सपने बनके रह गई उनकी सपने के आगे,
ओ तो इच्छाओं की भण्डार है इसलिए अपनी इच्छाएं भूल गए उनकी इच्छाओं के आगे।
दिल से खुश हूं नहीं पर खुश रह लेता हूं उनकी खुशी के आगे,
मुस्कुराना तो मेरी आदत सी बन गई बस यूंही मुस्कुरा लेता हूं उनकी मुस्कुराहट के आगे।।
@जय लगन कुमार हैप्पी
बेतिया, बिहार।