मेरी नेकियाँ… मेरे वजूद की ना फ़िक्र कर ए ‘फरेबदिल’… मेरी नेकियाँ, मेरे गुनाहों पर भारी रहीं हैं… -देवश्री पारीक ‘अर्पिता’