मेरी दिनचर्या
मेरी दिनचर्या
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जब रात को गहरी नींद में सो जाता हूं,
स्वप्नों की नई दुनियां में मै खो जाता हूं।
देखता हूं नए नए स्वप्न मै रोज रात को,
नए विचारों के नए बीज मै बो जाता हूं ।।
उठता हूं जब सुबह,काम धंधों मै खो जाता हूं,
रोजी रोटी के चक्करो में अपनों को खो जाता हूं।
व्यस्त रहता हूं सारे दिन दुनिया दारी में,
फिर थक कर खा पीकर रात को सो जाता हूं।।
आर के रस्तोगी
गुरुग्राम