मेरी तू रूह में बसती है
मेरी तू रूह में बसती है
करुं कैसे जुदा तुमको
मेरी हर शह से वाकिफ हो
करुं कैसे खफ़ा तुमको.
– डॉ. दीपक मेवाती
मेरी तू रूह में बसती है
करुं कैसे जुदा तुमको
मेरी हर शह से वाकिफ हो
करुं कैसे खफ़ा तुमको.
– डॉ. दीपक मेवाती