मेरी ताकत मेरी हिम्मत मेरी ख्वाहिश पूरी हो
मेरी ताकत मेरी हिम्मत मेरी ख़्वाहिश पूरी हो।
जैसे साँसें बहुत जरूरी तुम वैसे ही जरूरी हो।।
तुमसे पहले कोई आकर जीवन में रँग भरता था।
तुमसे पहले कोई मेरा होने का दम भरता था ।
तुमसे पहले कोई मुझसे घण्टों बातें करता था।
खुद का दिन आसान तो मेरी मुश्किल रातें करता था।
कड़ी धूप में रंग उड़ गए, तार किधर के किधर जुड़ गए।
इधर पाँव जो चल आते थे, बुरे वक्त में परे मुड़ गए।
तुमने हाँथ न थामा होता तो तन्हाई कस लेती।
सुबह रुलाती शाम जलाती रात की नागिन डस लेती।
अब तो तुम ही सुबह सुहानी शाम तुम्हीं सिंदूरी हो।
जैसे साँसें बहुत जरूरी तुम वैसे ही जरूरी हो।।
सुंदर नदिया, सुंदर निर्झर, सुंदर पर्वत, सुंदर सागर।
सुंदर बगिया, सुंदर तरुवर, सुंदर ताल, तलैया, पोखर।
कुदरत का हर जर्रा सुंदर साथ तुम्हारे होने से।
मुझको बिल्कुल प्यार नहीं है अब चाँदी से सोने से।
तुमने खनकाये कंगन तो दूर हो गया सूनापन।
तुम हो तो पतझर भी सावन, तुम ठहरे दिल की सिहरन।
मेरी किस्मत पर बादल हैं, तुम आशा की एक किरन।
एक तुम्हारी ख़ुशबू से ही महका है दिल का गुलशन।
मैं भटका सा एक हिरन हूँ तुम मेरी कस्तूरी हो।
जैसे साँसें बहुत जरूरी तुम वैसे ही जरूरी हो।।
संजय नारायण