मेरी डायरी (भाग-3) राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’
मेरी प्रिय डायरी (भाग-3)
(कोरोनाकाल में मेरी कुछ उपलब्धियां)
-राजीव नामदेव ‘राना लिधौरी’, टीकमगढ़ (मप्र)
दिनांक 26-5-2021 समय रात 9:30
मेरी प्रिय डायरी,
आत्मिक स्नेह
यूं तो कोराना काल बहुत दुखदायी है। लेकिन मैं आज सकारात्मक सोच के साथ आपको मेरी कुछ प्रमुख उपलब्धियां बता रहा हूं कि मैंने इस कठिन दौर में भी घर पर रह कर लाकडाउन का पालन करते हुए बहुत कुछ सीखा है। जैसे – सबसे पहले 1-मैंने मोबाइल पर आकर्षक सम्मान पत्र बनाना एवं डिजाइन बनाना सीख लिया है जिसे बनाने में बज़ार में लगभग 200-300रुपए लगते हैं।
2- मैंने घर पर ही सेविंग करना दाढ़ी बनाना भी सीख लिया है। पहले मैं सेलून पर बनवाता था। अब लाकडाउन के बाद घरपर ही अपने हाथ से बनाता हूं।
3- ई-बुक बनाना भी सीख लिया है अब तक 60 से अधिक ई-बुक्स लाकडाउन में ही बना ली है।
4- व्हाट्स ऐप पर एक ग्रुप “जय बुंदेली साहित्य समूह टीकमगढ़” नाम से बनाकर पर हिंदी एवं बुंदेली में दैनिक साहित्य लेखन कर रहा हूं।
5- लाक डाउन से पहले मैं साहित्य में दोहा नहीं लिख पाता था लेकिन अड बहुत बढ़िया तरीके से सीख गया हूं विगत 11माह से प्रतिदिन 3-5 दोहे दिये गये बिषय पर लिखकर अब तक लगभग 400 दोहे लिख चुका हूं। शीघ्र ही दोहे की एक हिंदी में और एक बुंदेली में पुस्तक छपवाने का विचार है।
6- लाक डाउन में आपनी तीन पुस्तकें एक बाल कविता संग्रह,एक लघुकथा संग्रह और एक लोककथा संग्रह, तैयार करके छपने को प्रेस में भेज दी है।
7-घर की बालकनी और छत पर बागवानी करके फूलों से सजा दिया है छत पर गमले में तोरई लगायी जो कि अब फलने लगी है। घर के बगीचे में इस साल अमरूद के साथ साथ पपीते भु खूब फले है। खूब छककर खाये और पडौसियों को भी खिलाये। इस दोरान घर पर ही चायपत्ती एवं प्याज से खाद बनाना सीखा अब बगीचे में वही डालता हूं।
8- जहां लाक डाउन में लोगों का घर में पड़े -पड़े आराम करते हुए वजन बढ गया वहीं मैंने अपनी छत पर ही सुबह शाम नियमित घूमकर बिना डाइटिंग किये सात महीने में लगभग 10किलो कम कर लिया है।
9- बगीचे और घर की छत पर पक्षियों के लिए नियमित ताजा जल भरा तथा गेहूं, चावल, पोहा आदि स्वयं अपने हाथ से रखा, मेरे छोटे से बगीचे में गिलहरी, गोरैया,तोता, कवूतर, कौआ,कोयल, मधुमक्खी, तितलियां, बिल्ली,आदि ने स्कोरे मेसे जल पिया है। तोते और गिलहरियों ने तो खूब अमरूद खाये। तो गेट पर तीन-चार गाय और दो कुत्तों ने रोटियां, सब्जियां के छिलके खाने रोज आने का नियम बना रखा है। गाये तो इतनी होशियार है कि वे बाहर का लोहे का बड़ा सा गेट अपने सिर व सींग से बजाती है। बिना खाने वापिस नहीं जाती है। घर में ऊपरी हिस्से में वेंटीलेटर पर एक जोड़ी जंगली कबूतर कई से रहता है। तो नीचे किचन के एक्जास्ट फैन वाले गोल हिस्से में गोरैया चिड़िया सपरिवार रहती है। नीचे सूखी नाली के पास ही एक बिल्ली रोज रात में सोती है। इन सबको देखकर मन आनंदित होता है। पूरा टैंशन दूर हो जाता है। दिल को एक सुकून मिलता है।
10-और सबसे बड़ी बात की इस भयानक महामारी कोरोना से खुद को एवं परिवार को अबतक बचाये रखा है। जबकि कभी किराने फल सब्जी लेने भी घर से बाहर जाना पड़ा लेकिन मैंने डबल मास्क लगाया और पूरी सावधानी बरती। पर वापिस आने पर सेनेटाइजर का उपयोग किया फिर स्नान किया।
और भी बहुत कुछ सीखा है। चलिए अब हमारे सोने का समय हो गया है। बाकी बातें अगले भाग में करेंगे एक नये बिषय के साथ।
शुभरात्रि, स्वस्थ रहे, मस्त रहे।
आपका अपना-
-राजीव नामदेव _राना लिधौरी’
संपादक-‘आकांक्षा’ पत्रिका
अध्यक्ष मप्र लेखक संघ टीकमगढ़
अध्यक्ष वनमाली सृजन केन्द्र टीकमगढ़
नई चर्च के पीछे, शिवनगर कालोनी,टीकमगढ़
पिन कोड-472001 (मप्र) भारत
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Email- ranalidhori@gmail.com
Blog- rajeevranalidhori.blogspot.com
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