मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ
मेरे कदमोँ की आहट को सदा पहचान जाती है
वो गहरी नीँद मेँ होती भी है तो जाग जाती है
मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ
कि जिसके त्याग के आगे ये दुनिया हार जाती है
मेरे कदमोँ की आहट को सदा पहचान जाती है
वो गहरी नीँद मेँ होती भी है तो जाग जाती है
मेरी गजलेँ मेरे मुक्तक उसी माँ को समर्पित हैँ
कि जिसके त्याग के आगे ये दुनिया हार जाती है