Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
9 Apr 2023 · 4 min read

मेरी कानपुर से नई दिल्ली की यात्रा का वृतान्त:-

मेरे अजनबी हमसफ़र….?

वो ट्रेन के रिजर्वेशन के डब्बे में बाथरूम के तरफ वाली सीट पर बैठी थी…
उसके चेहरे से पता चल रहा था कि थोड़ी सी घबराहट है उसके दिल में कि कहीं टीटी ने आकर पकड़ लिया तो
कुछ देर तक तो पीछे पलट-पलट कर टीटी के आने का इंतज़ार करती रही। शायद सोच रही थी कि थोड़े बहुत पैसे देकर कुछ निपटारा कर लेगी। देखकर यही लग रहा था कि जनरल डब्बे में चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें आकर बैठ गयी, शायद ज्यादा लम्बा सफ़र भी नहीं करना होगा। सामान के नाम पर उसकी गोद में रखा एक छोटा सा बेग दिख रहा था। मैं बहुत देर तक कोशिश करता रहा पीछे से उसे देखने की कि शायद चेहरा सही से दिख पाए लेकिन हर बार असफल ही रहा…
फिर थोड़ी देर बाद वो भी खिड़की पर हाथ टिकाकर सो गयी। और मैं भी वापस से अपनी किताब पढ़ने में लग गया लगभग 1 घंटे के बाद टीटी आया और उसे हिलाकर उठाया।
कहाँ जाना है बेटा अंकल दिल्ली तक जाना है टिकट है? नहीं अंकल जनरल का है लेकिन वहां चढ़ नहीं पाई इसलिए इसमें बैठ गयी अच्छा 300 रुपये का पेनाल्टी बनेगा ओह अंकल मेरे पास तो लेकिन 100 रुपये ही हैं ये तो गलत बात है बेटा पेनाल्टी तो भरनी पड़ेगी सॉरी अंकल मैं अलगे स्टेशन पर जनरल में चली जाउंगी मेरे पास सच में पैसे नहीं हैं कुछ परेशानी आ गयी, इसलिए जल्दबाजी में घर से निकल आई और ज्यादा पैसे रखना भूल गयी बोलते बोलते वो लड़की रोने लगी टीटी उसे माफ़ किया और 100 रुपये में उसे दिल्ली तक उस डब्बे में बैठने की परमिशन देदी। टीटी के जाते ही उसने अपने आँसू पोंछे और इधर-उधर देखा कि कहीं कोई उसकी ओर देखकर हंस तो नहीं रहा था थोड़ी देर बाद उसने किसी को फ़ोन लगाया और कहा कि उसके पास बिलकुल भी पैसे नहीं बचे हैं दिल्ली स्टेशन पर कोई जुगाड़ कराके उसके लिए पैसे भिजा दे, वरना वो समय पर गाँव नहीं पहुँच पायेगी। मेरे मन में उथल-पुथल हो रही थी न जाने क्यूँ उसकी मासूमियत देखकर उसकी तरफ खिंचाव सा महसूस कर रहा था, दिल कर रहा था कि उसे पैसे देदूं और कहूँ कि तुम परेशान मत हो और रो मत लेकिन एक अजनबी के लिए इस तरह की बात सोचना थोडा अजीब था। उसकी शक्ल से लग रहा था कि उसने कुछ खाया पिया नहीं है शायद सुबह से और अब तो उसके पास पैसे भी नहीं थे। बहुत देर तक उसे इस परेशानी में देखने के बाद मैं कुछ उपाय निकालने लगे जिससे मैं उसकी मदद कर सकूँ और फ़्लर्ट भी ना कहलाऊं। फिर मैं एक पेपर पर नोट लिखा,“बहुत देर से तुम्हें परेशान होते हुए देख रहा हूँ, जानता हूँ कि एक अजनबी हम उम्र लड़के का इस तरह तुम्हें नोट भेजना अजीब भी होगा और शायद तुम्हारी नज़र में गलत भी, लेकिन तुम्हे इस तरह परेशान देखकर मुझे बैचेनी हो रही हैइसलिए यह 500 रुपये दे रहा हूँ , तुम्हे कोई अहसान न लगे इसलिए मेरा एड्रेस भी लिख रहा हूँ जब तुम्हें सही लगे मेरे एड्रेस पर पैसे वापस भेज सकती हो वैसे मैं नहीं चाहूँगा कि तुम वापस करो , मैंने एक चाय वाले के हाथों उसे वो नोट देने को कहा, और चाय वाले को मना किया कि उसे ना बताये कि वो नोट मैंने उसे भेजा है। नोट मिलते ही उसने दो-तीन बार पीछे पलटकर देखा कि कोई उसकी तरह देखता हुआ नज़र आये तो उसे पता लग जायेगा कि किसने भेजा। लेकिन मैं तो नोट भेजने के बाद ही मुँह पर चादर डालकर लेट गया था थोड़ी देर बाद चादर का कोना हटाकर देखा तो उसके चेहरे पर मुस्कराहट महसूस की। लगा जैसे कई सालों से इस एक मुस्कराहट का इंतज़ार था। उसकी आखों की चमक ने मेरा दिल उसके हाथों में जाकर थमा दिया फिर चादर का कोनाहटा- हटा कर हर थोड़ी देर में उसे देखकर जैसे सांस ले रहा था मैं.पता ही नहीं चला कब आँख लग गयी। जब आँख खुली तो वो वहां नहीं थी ट्रेन दिल्ली स्टेशन पर ही रुकी थी। और उस सीट पर एक छोटा सा नोट रखा था मैं झटपट मेरी सीट से उतरकर उसे उठा लिया और उस पर लिखा था Thank You मेरे अजनबी हमसफ़र आपका ये अहसान मैं ज़िन्दगी भर नहीं भूलूँगी मेरी माँ आज मुझे छोड़कर चली गयी हैं घर में मेरे अलावा और कोई नहीं है इसलिए आनन – फानन में घर जा रही हूँ। आज आपके इन पैसों से मैं अपनी माँ को शमशान जाने से पहले एक बार देख पाऊँगी उनकी बीमारी की वजह से उनकी मौत के बाद उन्हें ज्यादा देर घर में नहीं रखा जा सकता। आज से मैं आपकी कर्ज़दार हूँ जल्द ही आपके पैसे लौटा दूँगी। उस दिन से उसकी वो आँखें और वो मुस्कराहट जैसे मेरे जीने की वजह थे. शायद किसी दिन उसका कोई ख़त आ जाये आज 1 साल बाद एक ख़त मिला …आपका क़र्ज़ अदा करना चाहती हूँ लेकिन ख़त के ज़रिये नहीं आपसे मिलकर नीचे मिलने की जगह का पता लिखा था……..
बदरपुर बॉर्डर के समीप,
और आखिर में लिखा था ” तुम्हारी अजनबी हमसफ़र!!—-
लेखक-आदर्श अवस्थी
हिन्दी साहित्य
फतेहपुर

257 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
जुनून
जुनून
अखिलेश 'अखिल'
जिंदगी रूठ गयी
जिंदगी रूठ गयी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
दरिया की तह में ठिकाना चाहती है - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
"सूर्य -- जो अस्त ही नहीं होता उसका उदय कैसे संभव है" ! .
Atul "Krishn"
बढ़ती वय का प्रेम
बढ़ती वय का प्रेम
Dr. Ramesh Kumar Nirmesh
*इतने दीपक चहुँ ओर जलें(मुक्तक)*
*इतने दीपक चहुँ ओर जलें(मुक्तक)*
Ravi Prakash
ये नामुमकिन है कि...
ये नामुमकिन है कि...
Ravi Betulwala
सितारे हरदम साथ चलें , ऐसा नहीं होता
सितारे हरदम साथ चलें , ऐसा नहीं होता
Dr. Rajeev Jain
बाण मां री महिमां
बाण मां री महिमां
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
संस्कारों के बीज
संस्कारों के बीज
Dr. Pradeep Kumar Sharma
पता ही नहीं चलता यार
पता ही नहीं चलता यार
पूर्वार्थ
HITCLUB là cổng game bài trực tuyến đẳng cấp với trang chủ c
HITCLUB là cổng game bài trực tuyến đẳng cấp với trang chủ c
HIT CLUB
पल
पल
Sangeeta Beniwal
रिश्ता दिल से होना चाहिए,
रिश्ता दिल से होना चाहिए,
Ranjeet kumar patre
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
चला आया घुमड़ सावन, नहीं आए मगर साजन।
डॉ.सीमा अग्रवाल
गम इतने दिए जिंदगी ने
गम इतने दिए जिंदगी ने
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
तू लाख छुपा ले पर्दे मे दिल अपना हम भी कयामत कि नजर रखते है
तू लाख छुपा ले पर्दे मे दिल अपना हम भी कयामत कि नजर रखते है
Rituraj shivem verma
बीता कल ओझल हुआ,
बीता कल ओझल हुआ,
sushil sarna
माँ दया तेरी जिस पर होती
माँ दया तेरी जिस पर होती
Basant Bhagawan Roy
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
रंग बिरंगे फूलों से ज़िंदगी सजाई गई है,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
प्यार में आलिंगन ही आकर्षण होता हैं।
प्यार में आलिंगन ही आकर्षण होता हैं।
Neeraj Agarwal
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी
हो हमारी या तुम्हारी चल रही है जिंदगी
सत्य कुमार प्रेमी
लेखक
लेखक
Shweta Soni
"आम्रपाली"
Dr. Kishan tandon kranti
4675.*पूर्णिका*
4675.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
#आज_का_क़ता (मुक्तक)
*प्रणय*
Ranjeet Kumar Shukla- kanhauli
Ranjeet Kumar Shukla- kanhauli
हाजीपुर
वादों की तरह
वादों की तरह
हिमांशु Kulshrestha
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
जीवन दर्शन (नील पदम् के दोहे)
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
#तुलसी महिमा
#तुलसी महिमा
Rajesh Kumar Kaurav
Loading...