मेरी कहानी मेरी जुबानी
मैंने अपनी ज़िंदगी में बहुत कुछ देखा है
जिसने बदल दी मेरे जीवन की रेखा है।
छोटी उमर में घरवालों को दर्द सहते देखा है।
दादा,दादी,चाचू,फूफा, और
छोटी उम्र में पिता की मौत का मंजर देखा है।
जिसनें बदल दी मेरे जीवन की रेखा है।
बहन की हुई शादी
ससुराल में उसे रोते देखा है
उसके पति को हाथ उठाते देखा है।
पापा के बाद बहन के ससुराल का दुर्व्यवहार देखा है।
बहन को बचाने के लिए मैंने पुलिस थाना भी देखा है।
जिसने बदल दी मेरे जीवन की रेखा है।
बहन को मिले इसके लिए डी.एस.पी का आफिस भी देखा है।
कैसे करते हैं पुलिस से बात
कैसे करते हैं सबूतों को इकट्ठा
इसके लिए हमने कोर्ट का मुँह भी देखा है।
क्या बताएं आपको बिन पापा हमने क्या क्या देखाहै।
आज भी जाते हैं केस लड़ने कोर्ट
हमने बकीलों का भी मुँह देखा है।
बहन की शादी का सामान जब आए घर
वो बुरा दिन भी हमने देखा है।
कितनी कमज़ोर पड़ गई माँ
उसे छुप छुपकर रोते देखा है।
देती हूं हिम्मत अपनी माँ को
जिसे मैंने हरदम रोता देखा है।
कितने हैं ये मनहूस दिन
जिसने बदल दी मेरे जीवन की रेखा है।
सब कहते हैं वंदना शादी करले
कब गम खुशी में बदल जाए किसने देखा है।
हम कहते नहीं करनी हमने शादी
छोटी उम्र से ही बहुत कुछ देखा है।
क्या बताएं कैसी है ज़िंदगी पापा बिन
रोज तिल तिल सबको यहां मरते देखा है।
कितने गम हैं इस ठाकुर की ज़िंदगी में
कितने गम हैं इस ठाकुर की ज़िंदगी में
कोई क्या जाने
वंदना को सबने हँसते देखा है।
वंदना को सबने हँसते देखा है।