मेरी कविता
कभी न आई कविता मुझको।
और छंद कभी नहीं आया है।
मैं लिखता बस मन की बातें।
कुछ और मुझे नहीं आया है।
न राजा की और न प्रजा की।
मैंने तो मध्य मार्ग अपनाया है।
पीड़ा को वर्णित करने हेतु।
बस दुखती नब्ज दबाया है।।
यहां किसी से मेरा बैर नहीं है।
ये परिवार हमारा सब मेरे हैं।
केवल सच लिखने की खातिर।
मैंने कागज कलम उठाया है।।
दुःख को देखा और झेला है।
सो गीत मैंने ब्यथा के गाया है।
पीड़ा को जीवन में अपनाकर।
पीड़ा को ही मैंने मीत बनाया है।।
जय प्रकाश श्रीवास्तव पूनम