मेरी कलम
बेख़ौफ़ चलती है
मेरी कलम
बेबाक चलती है
मेरी कलम…
(१)
ज़ुल्मत के
हर निज़ाम के
ख़िलाफ़ चलती है
मेरी कलम…
(२)
बिना झुके
बिना बिके
दिन-रात चलती है
मेरी कलम…
(३)
सड़क से लेकर
संसद तक
बिंदास चलती है
मेरी कलम…
(४)
मजलूमों और
महरूमों के
ही साथ चलती है
मेरी कलम…
(५)
इश्क़ या
इंकलाब के
आस-पास चलती है
मेरी कलम…
(६)
लिखते हुए
अपने वक़्त का
इतिहास चलती है
मेरी कलम…
(७)
करती हुई
साजिशों का
पर्दाफाश चलती है
मेरी कलम…
(८)
होता नहीं
जब कुछ मुझसे
बर्दाश्त चलती है
मेरी कलम…
(९)
बदलने के लिए
देश के
हालात चलती है
मेरी कलम…
(१०)
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