मेरी कलम से
मेरी कलम से
आनन्द कुमार
जाने कैसा प्यार किये तुम,
जीवन बीच राह छोड़ दिये तुम,
रिश्तों की ना परवाह किए तुम,
कैसे मुझ बिन यार जिये तुम,
आँखें तेरी नम न हुयी,
तु थोड़ा भी गुमसुम ना हुई,
क्या तुमको मेरी याद ना आई
या मुझबिन जीने की हो कसमें खाई
बड़ा गजब का प्रेम किए तुम,
मुझको तन्हा छोड़ दिए तुम,
खैर तुझे तेरा प्रेम मुबारक,
मै लिख दूंगा तुम बिन ही इबारत,
जीवन में स्वपन जगाकर, कंहा गये तुम,
मुझको क्यों यादों में उलझा गये तुम।
29-08-2014 की रचना