मेरी कलम से किस किस की लिखूँ मैं कुर्बानी।
मेरी कलम से किस किस की लिखूँ मैं कुर्बानी।
भारत को आजाद करने में थे कितने ही सेनानी।
शेखर लिखूं या भगत लिखूँ मैं या लिखूँ फिर सुखदेव को।
मेरी कलम में कहा दम इतना जो लिख दे, हर एक को।।
वीरो की यह वीर भूमि है , भारत गाता जिनकी गाथाएं है।
नमन करूं मैं ऐसी धरती को , जिस पर जन्मी वीर माताएं है ।।
जिसके उत्तर में है विराट पर्वत , दक्षिण में सागर का डेरा।
हर नदी में बहता गंगा जल है,और मणिपुर हे भारत का गहना।।
बढ़ता भारत बदल रहा है , और बदल रही है वो हर बात।
एकता , अखंडता की थी जो परिभाषा, ना दिख रही वो बात।।
मेरा सबसे इतना है कहना , वक्त रहते संभल जाओ।
मिल जुल कर रहना सिखो , आपस में हाथ बढ़ाओ।।
ना भूलो तुम अपनी आजादी को , और ना इतिहास को भुलाओ।
जिनसे मिली तुम्हे आजादी , उन्हे भी कभी शीश नवाओ।।
मेरी कलम से किस किस की लिखूँ मैं कुर्बानी ।
भारत को आजाद करने में थे कितने ही सेनानी।।
प्रतीक जांगिड़