मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
ना जानें, विह्वल मन क्यों इतना भ्रांत है!
मन को शांत कर बीती यादों में गर जायें….
यक़ीनन ऑंखों में दृश्य कई अभी भी जीवंत हैं!
…. अजित कर्ण ✍️
मेरी कलम आज बिल्कुल ही शांत है,
ना जानें, विह्वल मन क्यों इतना भ्रांत है!
मन को शांत कर बीती यादों में गर जायें….
यक़ीनन ऑंखों में दृश्य कई अभी भी जीवंत हैं!
…. अजित कर्ण ✍️