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15 Oct 2022 · 1 min read

मेरी आंखों का इंतिज़ार रहा

शिद्तों में जो बे’शुमार रहा ।
मेरी आंखों का इंतिज़ार रहा ।।

भूल हमको कभी नहीं सकता ।
दिल में बाक़ी ये ए’तिबार रहा ।।

पूंछ कर ज़िंदगी बता देना ।
हम पर किसका कहां उधार रहा ।।

मेरा कब हम पे इख़्तियार रहा।
दिल तो दिल था सो बेक़रार रहा ।।

बेबसी ज़िंदगी में थी शामिल ।
मेरा दामन भी तार-तार रहा ।।

डाॅ फौज़िया नसीम शाद

Language: Hindi
17 Likes · 197 Views
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