#मेरा_जीवन-
#मेरा_जीवन-
【प्रणय प्रभात】
■ सुख की नहीं चाह।
■ हर अच्छे पर वाह।
■ संतोष अथाह।
■ पर-पीड़ा पर आह।
■ एक अलग सी राह।
■ बस, शांति की परवाह।
जो आत्मीय हैं जानते हैं। शेष जानें न जानें, मानें न मानें। क्या फ़र्क़ पड़ता है…?
जय सियाराम जी की।।