मेरा सपना
मेरा सपना
मेरा भी एक सपना है जो आज तलक भी अपना है।
गर्मी से भी न डरूँ भागूँ ! मुझे तेज धूप में तपना है।
ऐसा सुन्दर मेरा देश बनें ! जँह हरे-भरे हो पेड़ घनें।
सारे जगत की नदियों की बहती जल धार धवल हो।
कोई भी जीव कहीं भी नहिं कुसमय काल कवल हो।
संसाधन प्रकृती के अनमोल कोई न बोले बिगड़े बोल।
बच्चे, बूढ़े और जवान सब रहें आजीवन घर की शान।
न वृद्धाश्रम न अनाथालय हों अपने घर ही देवालय हों।
हो मानवता का सबसे नाता अल्पबुद्धि हो या हो ज्ञाता।
लिंग, जाति या वर्ण भेद पर व्यक्त न करना पड़े खेद !
भाषाएं चाहे जितनी हों पर समझ सकें सब लोग वेद ।
चाहें लोहे की हों गाय भैंस पर घासफूस खाकर दें खाद।
प्लास्टिक जैसा उत्पाद न हो ये जल जीवन बर्बाद न हो।
खाहिं अहार शाक फल कंदा जीव जंतु सबकहुँ आनंदा।
बैंकों का कारोबार ना होअरु कुछ भी कहीं उधार न हो !
तन की सुंदरता गौड़ रहे ! पर सुंदर तन मन बेजोड़ रहे !
सबकी रुचियों काआदर हो न प्रेम का कहीं अनादर हो।
जितने लंबे हों पैर मनुज के…..उतनी ही लंबी चादर हो।