मेरा सच बोलना __मुक्तक
मेरा सच बोलना उनको कभी भी रास नाआया।
जब-जब पास गया उनके वह मेरे पास ना आया।।
झूंठ ही उनका धंधा है _ मुझे तो लगता है गंदा।
मुझे इस धंधे पर यारों कभी विश्वास ना आया।।
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मेरी मर्जी से जीता हूं _चाहे मैं धन से रीता हूं।
ज़ख्म दिखते किसी के तो प्रेम से उनको सीता हूं।।
यही है भाव तो मेरे___ इसे स्वभाव कह दो तुम।
अपनी हर सांस में मैं तो प्रेम का प्याला पीता हूं।।
राजेश व्यास अनुनय