“मेरा रिश्ता”
मेरा बस आप सबसे तो बना है प्यार का रिश्ता।
कभी बातों की गपशप का कभी सुख दुख का रिश्ता।
रहूँ मैं चाहता अब तो दिलों में आप सबके मैं।
कही हो जाऊं जब मैं दूर ना टूटे यार का रिश्ता।
मेरा बस आप सबसे तो बना है प्यार का रिश्ता।
ये नफरत द्वेष की फितरत क्यूँ दिलों में पाले हम।
तेरी यादों के सेवक है नहीं मन के काले हम।
समझ लो कि मैं भी हूँ इसी परिवार का हिस्सा।
न तोड़ो मुझसे यूँ बना तुम विस्वास का रिश्ता।
मेरा बस आप सबसे तो बना है प्यार का रिश्ता।
@सर्वाधिकार सुरक्षित
मनीष कुमार सिंह ‘राजवंशी’